एक ख्वाब है,बरसो पुराना ही सही
एक ख्वाब है,बरसो पुराना ही सही, ख्वाबों के जमींदार एक बार आना तो कभी। कुछ बड़े कुछ छोटे रखे है सारे, इन ख्वाबों को पूरा कर जाना तो कभी। में अपनी ही सूरत से ही घबराता रहा हूं, मेरी सीरत पे एक दिन तू मर जाना तो कभी। फूल ये रेशमी तेरे हाथो में तो नहीं सजते, जो दू में तो अपने बालों में लगाना तो कभी। उदासी से अपनी में उब चुका हूं कब से, मिलके मुझसे एकबार मुस्कुराना तो कभी। टूटे सामानों की भी क्या कीमत है तेरे दर पे, फिर मेरा दिल भी अपने पास सजाना तो कभी।