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हम किसी के पीछे निकल तो जाते है
हम किसी के पीछे निकल तो जाते है,
ठुकरा कर वापस फिर घर तो आते है।
यू तो कुछ लेके जाता नहीं है वो,
फिर भी ये दिल बिखर तो जाते हैं।
टूटने का सबब हर किसी को नी मिलता,
जिनको मिलता हैं खैर वो निखर तो जाते है।
वो जो हमेशा की बात करने वाले है,
अभी ना जाने चले किधर तो जाते है।
उन्होंने तो कोई उम्मीद दी भी नहीं थी,
फिर भी कुछ सपने पसर तो जाते है।
पतझड़ से निकल कर जाने वाले तो,
किसी बसंत में आखिर बसर तो जाते है।
One thought on “हम किसी के पीछे निकल तो जाते है”
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