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Category: GAZAL

कोई समझ ना पाया

कोई समझ ना पाया

कोई समझ ना पाया किस फिराक में जीते हैंमिलते है सबसे तो तपाक से मिलते हैं। एक ही तो तमन्ना थी कि उसके साथ एक घर होअब वो तम्मना और घर दोनों साथ में जलते हैं। एक ज़माना था लोगो से फुरसत नहीं थीएक ज़माना है अब बस अकेले चलते हैं। वो देखते रहते हैं अब मुस्तकबिल के सपनेहम अब भी गुज़रे लम्हों में टहलते हैं। चली गई महक मेरे कपड़ों पर से उसकीचलो हम भी अब ये पुराने कपड़े…

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खामखां ज़िंदा हूं

खामखां ज़िंदा हूं

खामखां ज़िंदा हूं अब तो, ज़िन्दगी तो नजर आती नहींतारे भी आजाते है सारे पर, कमबख्त नींद ही आती नहीं। रोज़ आ जाती हैं १०० मुसीबतें दामन में मेरेइंतजार रहता है जिसका, वो सितमगर आती नहीं। तन्हाइयो का हुकुम है, अब तो मेरी रूह परलोग तो सारे चले गए, एक तेरी याद जाती नहीं। नोच लेता हूं हर दूसरे रोज़ मेरे ज़ख्म मेंदर्द से चाहत है अब तो, खुशी वैसे भी आती नहीं। जग जाना इस हकीक़त में जुर्म सा…

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एक दिया है जलता सांझ पहर मेरे घर में

एक दिया है जलता सांझ पहर मेरे घर में

एक दिया है जलता सांझ पहर मेरे घर में, रहता है एक सुना शहर मेरे घर में, डूबा सा रहता हूं अपने ही बिस्तर में, यादों की बहती है एक नहर मेरे घर में, दरवाजा उम्मीदों का खुला रहता है दिनभर, ना जाने कब आएगी खुशी की लहर मेरे घर में, अगर इंतेज़ार करना मुहाल हो जाए किसी दिन, है रखी एक शीशी जहर मेरे घर में, इतनी भी मौत से दोस्ती अच्छी नहीं अक्षय, ए ज़िंदगी तू भी तो…

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एक ख्वाब है,बरसो पुराना ही सही

एक ख्वाब है,बरसो पुराना ही सही

एक ख्वाब है,बरसो पुराना ही सही, ख्वाबों के जमींदार एक बार आना तो कभी। कुछ बड़े कुछ छोटे रखे है सारे, इन ख्वाबों को पूरा कर जाना तो कभी। में अपनी ही सूरत से ही घबराता रहा हूं, मेरी सीरत पे एक दिन तू मर जाना तो कभी। फूल ये रेशमी तेरे हाथो में तो नहीं सजते, जो दू में तो अपने बालों में लगाना तो कभी। उदासी से अपनी में उब चुका हूं कब से, मिलके मुझसे एकबार मुस्कुराना…

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में नींद हूं, और तू एक ख्वाब सी है

में नींद हूं, और तू एक ख्वाब सी है

में नींद हूं, और तू एक ख्वाब सी है, सवालों में खोया में, तू उनके जवाब सी है मुझे तो है आदत मरहूमियत में जीने की, तुझमें करती ज़िन्दगी बसर तू शबाब सी है। तू रहती है अदबो तहजीब में, मेरी आदते तो कुछ खराब सी है। मेरी ज़िन्दगी की गणित तो कुछ ठीक नहीं, तेरा जीवन तो बनिए के हिसाब सी है। में ठेरा अनपढ़ केसे समझ सकता उसको वरना वो तो एक खूबसूरत किताब सी है।

इश्क के जाने के बाद

इश्क के जाने के बाद

इश्क के जाने के बाद क्या होता है? हमारे मर जाने के बाद क्या होता है? शहरों में हम बे फिराक घूमते है, नजाने घर जाने बाद क्या होता है? हम आवारा, और बेवफा रहे तो अच्छा, क्या पता सुधर जाने बाद क्या होता है। उड़ कर नए बसेरा ढूंढने वालो को क्या खबर आखिर घर बिखर जाने बाद क्या होता है। में तो अभी भी वहम में जीता हूं मुझे क्या पता इश्क का असर जाने बाद क्या होता…

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जिस गली से जी घबराए

जिस गली से जी घबराए

जिस गली से जी घबराए, उस गली में आखिर जाएं क्यों? ज़ख्म ही मिलेंगे अगर आखिर में, तो फिर से ये मोहब्बत आजमाएं क्यों? जाते वक़्त उसने टोका भी नहीं, फिर मुड़के उसके घर अब जाएं क्यों? वो शमा हम ही को प्यारी थी फिर, उससे जल जाने पर पछताए क्यों? वो भी तो है गैरो की महफिल में फिर, हम ही अकेलापन अपनाएं क्यों. वो जर्जर घर आखिर अब टूट गया, फिर से मेहनत करके उसे हम बनाएं क्यों?…

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हम किसी के पीछे निकल तो जाते है

हम किसी के पीछे निकल तो जाते है

हम किसी के पीछे निकल तो जाते है,ठुकरा कर वापस फिर घर तो आते है। यू तो कुछ लेके जाता नहीं है वो,फिर भी ये दिल बिखर तो जाते हैं। टूटने का सबब हर किसी को नी मिलता,जिनको मिलता हैं खैर वो निखर तो जाते है। वो जो हमेशा की बात करने वाले है,अभी ना जाने चले किधर तो जाते है। उन्होंने तो कोई उम्मीद दी भी नहीं थी,फिर भी कुछ सपने पसर तो जाते है। पतझड़ से निकल कर…

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