एक दिया है जलता सांझ पहर मेरे घर में
एक दिया है जलता सांझ पहर मेरे घर में, रहता है एक सुना शहर मेरे घर में, डूबा सा रहता हूं अपने ही बिस्तर में, यादों की बहती है एक नहर मेरे घर में, दरवाजा उम्मीदों का खुला रहता है दिनभर, ना जाने कब आएगी खुशी की लहर मेरे घर में, अगर इंतेज़ार करना मुहाल हो जाए किसी दिन, है रखी एक शीशी जहर मेरे घर में, इतनी भी मौत से दोस्ती अच्छी नहीं अक्षय, ए ज़िंदगी तू भी तो…