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दर्द में यूं ना हमें खुद से दफा कीजिए

दर्द में यूं ना हमें खुद से दफा कीजिए

दर्द में यूं ना हमें खुद से दफा कीजिए हमें मर्ज है तो उस मर्ज की दवा कीजिए वफा करके भी फिर ये कैसी बेरुखी इससे बेहतर तो आप फिर दगा कीजिए। सिर्फ आंसू ही तो नहीं दर्द की निशानी मेरी चीख सुननी हो तो ये आंखे पढ़ा कीजिए। तनहा सा यू मुझे छोड़ जाने के बाद, मुझसे ना अब कोई उम्मीद ए वफा कीजिए। यूं छोड़ जाने से पहले एक मेहरबानी और करे, मुवक्किल हो जल्द मुझे मौत ये…

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केसे कहूं बेवफा उसे

केसे कहूं बेवफा उसे

केसे कहूं बेवफा उसे, उसके भी अब 100 फ़र्ज़ है। कोई हकीम भी छुता नहीं, मोहब्बत ये कैसा दर्द है। गुमसुम रहने की आदत ना थी खैर मेरी उदासी पर उसका का कर्ज है। मौसम का कोई हाल बताओ यार, उसके जाने बाद से क्यों राते सर्द हैं। उसको मिल गई मंजिल अपनी, मुझे क्यों इस बात से भी हर्ज है।

इश्क के जाने के बाद

इश्क के जाने के बाद

इश्क के जाने के बाद क्या होता है?हमारे मर जाने के बाद क्या होता है? शहरों में हम बे फिराक घूमते है,नजाने घर जाने बाद क्या होता है? हम आवारा, और बेवफा रहे तो अच्छा,क्या पता सुधर जाने बाद क्या होता है। उड़ कर नए बसेरा ढूंढने वालो को क्या खबरआखिर घर बिखर जाने बाद क्या होता है। में तो अभी भी वहम में जीता हूं मुझे क्या पताइश्क का असर जाने बाद क्या होता हैं? में तो अब भी…

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तू एक ख्वाब सी है

तू एक ख्वाब सी है

में नींद में हूं, और तू एक ख्वाब सी है,सवालों में खोया में, तू उनके जवाब सी है मुझे तो है आदत मरहूमियत में जीने की,तुझमें करती ज़िन्दगी बसर तू शबाब सी है। तू रहती है अदबो तहजीब में,मेरी आदते तो कुछ खराब सी है। मेरी ज़िन्दगी की गणित तो कुछ ठीक नहीं,तेरा जीवन तो बनिए के हिसाब सी है। में ठेरा अनपढ़ केसे समझ सकता उसकोवरना वो तो एक खूबसूरत किताब सी है।

अकेले रहना बड़ी ज़िम्मेदारी है।

अकेले रहना बड़ी ज़िम्मेदारी है।

लोगो की तो दो पल की यारी है,अकेले रहना बड़ी ज़िम्मेदारी है। दिन भर लोगो की भीड़ हो भले,रात तो सबने अकेले गुजारी है। खुशी तो बांट लेते हैं लोग सभी,इस गम पे सिर्फ हक हमारी है। तुम करलो एश ओ आराम सारे,हम पे तो अभी काम भारी है। हम फिर अकेले ही घर लौट आए,खैर ये कौन सा पहली बारी है।

एक खाली कमरा

एक खाली कमरा

एक खाली कमरा है, बस कुछ गमो की जरूरत है। एक चादर है एक तकिया है, बस नींद इन आंखो की जरूरत है। जो है वो तो काफी पुराने है जीने के लिए नए ज़ख्मों की जरूरत है। दर्द बया तो आंखें बेहतर करती है, आखिर किसे इन लफ्जो कि जरूरत है। अकेले रहना सीख लिया है अब मैने, मुझे तो नहीं अब इन लोगो की जरूरत है। सांस लेकर तो बस ज़िंदा नहीं रहा जाता जीने के लिए कुछ…

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मुझे छोड़ कर जाने के लिए।

मुझे छोड़ कर जाने के लिए।

बहाना लोग ढूंढ़ ही लेते हैं,मुझे छोड़ कर जाने के लिए। किसी और से दिल लगाने के लिएमुझसे बेहतर कोई पाने के लिए। अब किस पे ये ज़िम्मेदारी रखू,इन लबो की मुस्कुराने के लिए। अब ये घर है जब से वीरान पड़ा,और एक दिल है जलाने के लिए।

मुझे भी इंतेज़ार करना है।

मुझे भी इंतेज़ार करना है।

ये किस्सा मुझे भी एक बार कहना हैं ,किसी के ख़त का मुझे भी इंतज़ार करना है। मेरी यादों को दिल में संभाल रही होगी,जो मन में है उन्हें शब्दों में ढाल रही होगीएक व्यस्त दिन को भी ऐतवार करना हैकिसी के ख़त का मुझे भी इंतज़ार करना है। मेरे उत्तर के इंतेज़ार में फिर वो दिन रात होगीप्रेम में विवश बस खुद से करती वो बात होगीजवाब में एक कागज पर ये दिल गुलज़ार करना हैकिसी के ख़त का…

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दर्द में यूं ना हमें खुद से दफा कीजिए

दर्द में यूं ना हमें खुद से दफा कीजिए

दर्द में यूं ना हमें खुद से दफा कीजिए हमें मर्ज है तो उस मर्ज की दवा कीजिए वफा करके भी फिर ये कैसी बेरुखी इससे बेहतर तो आप फिर दगा कीजिए। सिर्फ आंसू ही तो नहीं दर्द की निशानी मेरी चीख सुननी हो तो ये आंखे पढ़ा कीजिए। तनहा सा यू मुझे छोड़ जाने के बाद, मुझसे ना अब कोई उम्मीद ए वफा कीजिए

जवानी में मोहब्बत बेहिसाब की गई

जवानी में मोहब्बत बेहिसाब की गई

जवानी में मोहब्बत बेहिसाब की गई इस कमबख्त दिल की आदतें खराब की गई। पहले तो उसे हमने हमनशी समझा फिर उसके नशे में ज़िन्दगी बरबाद की गई। पहलू से निकल कर उसके हम घर आए घर आ कर कई रातें नींद खराब की गई। जो आंखें खुली तो अपना घर देखा उन खाली कमरों में मुद्दतों फिराक की घिर। इस दिल के हालत का क्या बयां करू ज़ख्मों की गिनती दिन रात की गई। दरवाजे खोल कर रोजाना दोस्तो…

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