तू एक ख्वाब सी है
में नींद में हूं, और तू एक ख्वाब सी है,सवालों में खोया में, तू उनके जवाब सी है मुझे तो है आदत मरहूमियत में जीने की,तुझमें करती ज़िन्दगी बसर तू शबाब सी है। तू रहती है अदबो तहजीब में,मेरी आदते तो कुछ खराब सी है। मेरी ज़िन्दगी की गणित तो कुछ ठीक नहीं,तेरा जीवन तो बनिए के हिसाब सी है। में ठेरा अनपढ़ केसे समझ सकता उसकोवरना वो तो एक खूबसूरत किताब सी है।